स्व0 श्रीमती विमला देवी जी,दल की प्रेरणाश्रोत एवं पथप्रर्दशक
उनका मानना था कि एक व्यक्ति से परिवार नहीं बनता है, परिवार व्यक्तियों के समूह से बनता है जहां किसी प्रकार की कोई वैमनस्यता, विभेद तथा ऊॅंच नींच व अमीरी गरीबी का भेद भाव न हो एवं प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का बोध हो। उनका यह भी मानना था कि एक परिवार सबके आपसी प्रेम, सम्मान्, सद्भाव एवं सहयोग से चलता है, जिस परिवार में एक दूसरे के प्रति यथायोग्य सहयोग प्रेम, आत्मीयता, संवेदना, व सद्भाव नहीं होता वहां परिवार बिखर जाता हैं